यह साधना कोई भी व्यक्ति कर सकता है,साधना बहोत आसान है और तीव्र प्रभावशाली है,
इस साधना से आप अपने मनचाहे कार्य पूर्ण कर सकते हो सिर्फ एक काम करना पड़ेगा प्रत्येक कार्य के पूर्ण होते है पंच पीरो को प्रसाद के रूप मे शुद्ध देसी घी मे बने हुये चूरमे का लड्डू चढाना है,
मिया गाजी पीर,जींद पीर ख्वाजा,खिज्र पीर साहब,शेख फरीद बाबा,पीर बदर साहब ये पाचो पीर एक ही साधना से सिद्ध होते है और मनचाहा कार्य साधक का अपनी शक्तियों से पूर्ण करते है
साधना विधि:-यह साधना शुक्ल पक्ष मे रविवार के दिन करनी है,साधना मे सिर्फ सफ़ेद हकीक माला का इस्तेमाल होगा और कोई माला नहीं चलेगी,घी और चूरमे से बने लड्डू का भोग रोज लगाना है,
साधना २१ दिनो की है,समय शाम को ६:३० से ७:३० का ही रहेगा,दिशा पच्शिम रहेगी,आसन और वस्त्र सफ़ेद रंग के चाहिये,साधना करने से पूर्व वज़ू कर ले,
साधना मे चौमुखी दीपक आवश्यक है जिसमे चारो और की बत्तिया खड़ी हो एक बत्ती बीच मे खड़ी होनी चाहिये,धूप लोहबान काही लीजिये तो साधना मे मजा आजायेगा
मंत्र-
॥ बिसमिल्लाह रहमाने रहीम,मिया गाजी पीर,जींद पीर ख्वाजा,खिज्र पीर,शेख फरीद पीर ,पीर बदर घोड़े पर भीड़ चढ़ो,मदद मेरी पंच करो । जो मेरा काम न करो ,तो मुहम्मद रसूल अल्लाह की दुहाई ॥
साधना काल मे अक्सर ११ दिन बाद अनुभूतिया होती है,कभी स्वप्न मे पीर दर्शन देते है तो कभी साधना काल मे चद्दर उड़ते नजर आती है,तो कभी उर्दू मे आवाज़े सुनाई देती है,
साधना मे रोज १ माला करना आवश्यक है पर आप चाहो तो ३ माला जाप रोज कर सकते है,साधना समाप्ती के बाद कोई भी एक ही आपको दर्शन देगे तो उनके हाथ मे एक लड्डू दे दीजिये और
एक ही पीर दर्शन दे तो ईसका मतलब ये नहीं के आपको एक ही पीर सिद्ध हुआ,पाचो पीर की सिद्धि मानी जाती है,साधना काल मे भय लगे तो गुरचरनोमे एक सुगंधित पुष्प चढ़ा दीजिये भय की स्थिति समाप्त हो जायेगी।
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