परी सिद्धि साधना. || Pari Amal || pari pratksha Darshan ||pari sadhana mantra - Govindnath
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परी सिद्धि साधना. || Pari Amal || pari pratksha Darshan ||pari sadhana mantra

परी सिद्धि साधना. || Pari Amal || pari pratksha Darshan ||pari sadhana mantra

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2015 आज चला जायेगा और इस नववर्ष पर आपको
बहोत सारे बधाई के साथ उच्चकोटि की साधनाये भी पढ़ने मिलेगा। इसमे से एक साधना आज ही दे रहा हू,"आकाश परी साधना"जो प्रामाणिक है और अन्य लोगो ने जो गलत मंत्र दिये है तो उनको भी अब सही मंत्र मिलेगा। ये साधना विधान अजमेर के एक येसे व्यक्ति से मिला है जिन्होने परी साधनाओं मे महारत हासील किया हुआ है और वह एक हिंदु व्यक्ति है परंतु उनका ज्ञान काबिले तारीफ़ है।
उन्होने इसी साधना के माध्यम से कई परीयो को सिद्ध  किया है और कई लोगो का मदत भी उन्होने तहे दिल से किया है जिसका अगर हम शुक्रिया अदा करना चाहे तो सम्भव नही है। आज के ही दिन दो वर्ष पुर्व उनका परलोक गमन हुआ था और आज भी वह हमारे साथ साधना के माध्यम से जिवीत है परंतु देह के माध्यम से नही है।
इस साधना से इच्छित कार्य पुर्ण होते है,परी सामने आकर हमारे कार्यो को सम्भाल लेती है। उसका रूप अत्यंत सुंदर होता है,उसके शरीर हमेशा सुगंध से महेकता रहेता है। उसकि आंखो मे देखने से साधक अपना सबकुछ भुल जाता है और परी का दिवाना हो जाता है। जब वो स्पर्श करती है तो येसे लगता है जैसे सारी ख्वाहिश पुर्ण हो गयी हो,उनका शरीर हमेशा थंडा होता है और वो जब स्वयं हमे स्पर्श करे तो उसका शरीर गरम हो जाता है परंतु हमारे स्पर्श से उसका शरीर गरम नही होता है।
परी साधक को कभी नाराज नही करती है,उसकी प्रत्येक कामना पुर्ण करती है। ये साधना कोइ भी कर सकता है जैसे शादी-शुदा पुरुष भी कर सकते हैं।
एकांत कमरे मे रात्रि 10 बजे से 12 बजे तक मंत्र जपे।सुगँधीत धुप दीप जला कर शुक्रवार से शुरु करे और तैहतीस (33) दीन नित्य जाप करे। जाप करते समय "तिलस्मी रत्न" और मिठाई हाथ मे ही रखे। जब परी प्रकट हो तब सबसे पहीले उसे "तिलस्मी रत्न" निर्मित अंगुठी पहेनाये और मिठाई उसे देकर उसके हाथ को चुमते हुए उसको अपनी प्रेमिका बनने का रिश्ता कायम रखने का वचन बध्धता करा ले। परि प्रसन्न होने पर साधक कि प्रत्येक इच्छा पुर्ण करेगी ।


सबसे पहले "तिलस्मी रत्न " को अंगुठी मे बनवाकर स्थापित करे और १०१ बार दरूद शरीफ पढ़े ।
"अल्लाह हुम्मा सल्ले अला सैयदना मौलाना मुहदिव बारीक़ वसल्लम सलातो सलामोका या रसूलअल्लाह सल्ललाहो ताला अलैह वसल्लम"




परी मंत्र सिद्धि हेतु माला का आवश्यकता नही है और बिना माला के रोज 72 मिनिट जाप करना है।"तिलस्मी रत्न (हकिक) अंगुठी" को सामने रखकर ही मंत्र जाप करना अनिवार्य है अन्यथा हानिकारक हो सकता है। क्युके यह तिलस्मी रत्न कोइ साधारण रत्न नही है,यह परी का प्रिय रत्न है जिसे वो बहोत चाहती है। परी सामने आने के बाद जब तक हम उसको अंगुठी नही पहेनाते है तब तक वो हमारे वश मे नही हो सकती है। उसको अंगुठी पहेनाने से वो हमारी प्रेमिका बन जाती है और हमे सभी सुख देती है। बिना अंगुठी के तो शादी का रिश्ता तक नही जुडता है तो सोचिये तुम्हे परी कैसे रिश्ता जोडेगी ? इसलिये उसको सिर्फ "तिलस्मी रत्न से बनी अंगुठी ही पहेनाये,अन्य रत्न से बनी अंगुठी पहेनाने से वो नाराज हो जाती है और फिर वापिस कभी नही आती है।


आकाश परी मंत्र:-
।। बिस्मिल्लाह रहेमाने रहिम आकाश परि के पाव मे  घुंगरु,नाचति आवे-बजाती आवे,सोति हो तो जागकर आवे,जागती हो तो जल्द आवे,छमा छम करे-बादल मे घोर करे,मेरा हुकुम नही माने तो परि लोक से जमीन पर  गीरे,हज साल जहन्नुम भोगे,लाख लाख बिच्छुन कि पिडा भोगे,दुहाई सुलेमान पैगम्बर कि,दुहाई हसन-हुसैन साहब की,मेरी भक्ति गुरु कि शक्ति,फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।।


साधना मे सिर्फ सफेद वस्त्र,आसन,मिठाई का प्रयोग करे।सर के बाल ढके हुए हो इसलिए सफेद रुमाल सर पर बांधे और गुलाब का इत्र वस्त्रो पर लगाना है। साधना हेतु पच्छिम दिशा के तरफ मुख करके बैठना है। जाप के समय बिच मे उठना नही चाहिये और साधना करने के बाद ही आप आसन से उठ सकते है।


परी साधनाओं के नियम :-
1.परी साधना में वज्रासन का प्रयोग किया जाता है,जैसे नमाज अदा करने के लिए बैठते है ।
2. वस्त्र स्वच्छ एवं धुले हुए इस्तेमाल करने चाहिए ।
3. असत्य भाषण से बचना चाहिए और यथासंभव कम बोलना चाहिए क्योंकि हम जितना ज्यादा बोलेंगे मुख से असत्य तो निकलेगा ही साथ ही साथ हमारी उर्जा भी ज्यादा नष्ट होगी ।
4. साधना स्थल साफ़ एवं शांत होना चाहिए । साधना स्थल पर गंदगी नहीं फैलानी चाहिए । हर रोज़ पोचा लगाना चाहिए । एक बात का विशेष ध्यान रखें कि शौचालय के पास कभी साधना नहीं करनी चाहिए और कमरे में भी शौचालय नहीं होना चाहिए ।
5. साधक को मन , वचन एवं कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।
6. साधक को शौच के बाद स्नान और लघु शंका के बाद हाथ पैर धोने चाहिए ।
7. परी साधनाओं और अमलों में चमड़े से बनी हुई वस्तुओं से परहेज़ रखना चाहिए ।
8. इन साधनाओं को करने के दिनों में गायत्री मंत्र जप नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे साधना में जो शक्ति संचार होता है उसका क्रम अवरोधित हो जाता है ।
9. अगर साधना में पुष्पों का प्रयोग करना हो तो हमेशा तीव्र सुगन्धित पुष्पों का ही उपयोग करना चाहिए । गुलाब और चमेली के पुष्प इस दृष्टि से उत्तम हैं ।
10. साधना करने के बाद कुछ मिष्ठान का वितरण हमेशा करना चाहिए । इस बात को लोग हमेशा नज़र अंदाज़ कर देते हैं ,वो लोग यह नहीं जानते कि येसा करने से उनकी सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है ।
11.लोहबान धुप का ही प्रयोग करें । लोहबान को हर परी साधना में इस्तेमाल करने से साधना अपना पूर्ण प्रभाव देती है ।
12. साधना में सूती आसन का ही उपयोग करना चाहिए ।
इन 12 नियमों का पालन अवश्य करें क्योंकि मैं आपको सफल होते हुए ही देखना चाहता हू ।



आपके जिवन का निराशता परी साधना से समाप्त होगा यही आनेवाले नववर्ष मे आपका भविष्य होगा,आपको मोहब्बत के साथ प्रेमिका मिलेगी जिसे सिर्फ आप ही देख सकते हो दुसरा कोइ नही देख सकता है। वो हमेशा साधक के साथ रहेती है,उसकि सेवा करती है,साधक को वो खुशियां ही खुशियां देती है,किसी भी कार्य के लिये मना नही करती है।
दुनिया का कोइ भी किताब पढलो परंतु सुशिल नरोले ने लिखे हुये शब्दो को आप किसी किताब मे नही पढ़ने मिलेगे क्युके इसमे अनुभव के आधार पर वर्णन किया हुआ है। येसे ही किताबें मे पढकर यह आर्टीकल यहा पर लिखा नही गया है। यहा पर अनुभव और प्रामाणिक विधी-विधान के साथ यहा सब कुछ लिखा हुआ है।
"तिलस्मी रत्न" कोइ साधारण रत्न नही है यह विशेष प्रकार का हकिक पत्थर है जो मिलना दुर्लभ होता है। कुछ दिन पहिले मुझे 7 रत्न प्राप्त हुए,अब और भी रत्न प्राप्त करने हेतु मै प्रयास कर रहा हु। मुझे 7 रत्न प्राप्त हुए इसलिये मै यहा आज यह साधना दे रहा अन्यथा मै बिना रत्न के साधना नही दे सकता था ।
इस दुर्लभ रत्न को मै बहोत कम धनराशि मे आपको दे रहा हू। मै चाहता तो यह दुर्लभ रत्न 10-20 हजार मे भी दे सकता था परंतु तंत्र के नाम पर साधको के साथ खिलवाड़ करना मेरे नियमो के विरुद्ध है इसलिये यह रत्न मै आपको 1850 रुपयो मे दे रहा हू जिसमे 100 रुपये आपको कोरियर का चार्जेस अतिरिक्त देना होगा। इस प्रकार से आपको 1950/- रुपये मे "तिलस्मी रत्न" प्राप होगा और रत्न के साथ मे उसको सिद्ध करने का विधान भी दिया जायेगा। किसी दुसरे व्यक्ति से सिद्ध किया हुआ रत्न आपके किसी काम का नही है। रत्न को आप स्वयं सिद्ध करेंगे तो आपको पुर्ण सफलता प्राप्त हो सकती है और परी भी प्रत्यक्ष रूप मे सिद्ध हो सकती है।एक परी का इलम भी मै आपको बता दुगा,जिससे आप अन्य परीओ से सम्पर्क कर सकते है।
किसी भी प्रकार के परी से सम्बन्धित प्रश्न और "तिलस्मी रत्न" को प्राप्त करने हेतु ई-मेल के माध्यम से सम्पर्क करे।
amannikhil011@gmail.com

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